राजत तेरै बदन ससी री -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


राजत तेरै बदन ससी री।
किरनि कटाच्छ बान बर साधे, भौंह कलक कमान कसी री।।
पीन पयोधर सघन उनत अति, तातर रोमावली लसी री।
चकवाक खग चंचुपुटी तै, मनु सैबल मजली खसी री।।
ज्यौ नाभी सर एक नाल नव, कनक कमल बिबि लहे बसी री।
'सूरज' श्रीगोपाल (यमुना) पियारी, मेरुनि अध तमधार धँसी री।।2447।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः