राजत तेरै बदन ससी री।
किरनि कटाच्छ बान बर साधे, भौंह कलक कमान कसी री।।
पीन पयोधर सघन उनत अति, तातर रोमावली लसी री।
चकवाक खग चंचुपुटी तै, मनु सैबल मजली खसी री।।
ज्यौ नाभी सर एक नाल नव, कनक कमल बिबि लहे बसी री।
'सूरज' श्रीगोपाल (यमुना) पियारी, मेरुनि अध तमधार धँसी री।।2447।।