यह सुनि कै नृप त्रास भरयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग गौरी


यह सुनि कै नृप त्रास भरयौ।
सबनि सुनाइ कही यह बानी, यह नदनद करयौ।।
मारौ स्याम राम दोउ भाई, गोकुल देउँ बहाइ।
आगै दै कै रजक मरायौ, स्वर्गहि देउँ पठाइ।।
दिन दिन इनकी करौ बड़ाई, अहिर गए इतराए।
तौ मैं जौ वाही सौ कहिकै, उनकी खाल कढाइ।।
'सूर' कंस यह करत प्रतिज्ञा, त्रिभुवन नाथ कहाइ।।3041।।

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