मैया हौं गाइ चरावन जैहौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली



मैया हौं गाइ चरावन जैहौं।
तू कहि महर नँद बाबा सौं, बडो भयो न डरैहौं।
रैता, पैता, मना, मनसुखा, हलधर सँगहि रैहौं।
बंसीबट तर ग्‍वा‍लनि कैं संग, खेलत अति सुख पैहौं।
ओदन भोजन दै दधि काँवरि, भूख लगे तैं खैहौं।
सूरदास है साखि जमुन-जल सौंह देहु जु नहैहौं।।412।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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