मैं अपनी सब गाइ चरैहौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग



मैं अपनी सब गाइ चरैहौं।
प्रात होत बल कैं सँग जैहौं, तेरे कहैं न रैहौं।
ग्‍वाल बाल गाइनि के भीतर, नैंकहुँ डर नहिं लागत।
आजु न सोवौं नंद-दुहाई, रैनि रहौंगौ जागत।
और ग्‍वाल सब गाइ चरैहैं मैं घर बैठो रैहौं?
सूर स्‍याम तुम सोइ रहौ अब, प्रात जान मैं दैहौं।।420।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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