मैं अपनी सब गाइ चरैहौं।
प्रात होत बल कैं सँग जैहौं, तेरे कहैं न रैहौं।
ग्वाल बाल गाइनि के भीतर, नैंकहुँ डर नहिं लागत।
आजु न सोवौं नंद-दुहाई, रैनि रहौंगौ जागत।
और ग्वाल सब गाइ चरैहैं मैं घर बैठो रैहौं?
सूर स्याम तुम सोइ रहौ अब, प्रात जान मैं दैहौं।।420।।