मेरौ मन तब तै न फिरयौ री।
गयौ जु संग स्याम सदर कै तहँ तै कहुँ न टरयौ री।।
जीवन रूप गर्व धन सँचि, हौ उर मैं जु धरयौ री।
कहा कहौ कुल सील, सकुच सखि, सरवस हाथ परयौ री।।
बिनु देखै मुख हरि कौ मन यह, निसि दिन रहत अरयौ री।
'सूरदास' या वृथा लाज तै, कछुव न काज सरयौ री।।1873।।