मेरे नैननिही सब खोरि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग देव गंधार


मेरे नैननिही सब खोरि।
स्याम-बदन-छवि निरखि जु अटके, बहुरे नहीं बहोरि।।
जउ मैं कोटि जतन करि राखति, घूँघट ओट अगोरि।
तउ उडि मिले बधिक के खग ज्यौ पलक पींजरा तोरि।।
बुधि विवेक बल बचन चातुरी, पहिलेहि लई अँजोरि।
अति आधीन भई सँग डोलतिं, ज्यौऽब गुडी बस डोरि।।
अब धौ कौन हेतु हरि हमसौ, बहुरि हँसत मुख मोरि।
सुनहु 'सूर' दोउ सिंधु सुधा भरि, उमँगि मिले मिति फोरि।।2357।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः