मुरली तेरौई बड़ भाग -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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मुरली तेरौई बड़ भाग।
धन्य सुबंस कंज कौ लहनौ जिहिं उपजी बन बाग।।
प्रथम सह्यौ छत कर कुठार कौ दूजै सब तन दाग।
उतनौ दुख इतनौ सुख पायौ पीवति कमलपराग।।
जाकौ जस गुन गंध्रप गावत सुर नर मुनि जन नाग।
'सूरदास' प्रभु बस्य किये हरि बंसी करि अनुराग।। 6 ।।

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