मुरली तनक सुनै जो है -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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मुरली तनक सुनै जो है।
जल थल जीव जंतु कौ स्वामी सोऊ वा सुर मोहै।।
जा तीरथ व्रत कियौ तरुन सब स्रम करि पीठि न दीन्हौ।
ता तीरथ के व्रत के फल सौ स्याम सुहागिनि कीन्ही।।
हमैं छुड़ाइ अधर रस पीवै करति न रचक कानि।
'सूरदास' प्रभु निकसि कुज तै जुरी सौति बनि आनि।। 21 ।।

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