मानि मनायौ राधा प्यारी 12 -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मलार
राधावचन


पर-धन-रमन, दमन दावागिनि, डोलनि कुंजनि माही।
चारन धेनु, फेन मथि पीवन, जीवन भरयौ बृथाही।।
डासन काँस, कामरी ओढ़न, बैठन गोपसमाही।
भूषन मोरपखौवनि, मुरली, तिनकै प्रेम कहाँ ही!

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