माखन दधि कह करौं तुम्हारौ।
या बन मैं तुम बनिज करति हौ, नहिं जानति मोकौं घटवारौ।।
मैं मन मैं अनुमान करौं नित, मोसौं कैहै बनिज-पसारौ।
काहे कौं तुम मोहिं कहति हो, जोबन-धन ताकौ करि गारौ।।
अब कैसैं घर जान पाइहौ, मोकौं यह समझाइ सिधारौ।
सूर बनिज तुम करति सदाई, लेखौ करिहौं आजु तिहारौ।।1524।।