बलदाऊ कहि स्याम पुकारयौ।
आवहु बेगि चलौ घर जैऐ, बनहीं होत अँध्यारौ।
ल्याए बोलि सखा हलधर कौं, हँसे स्याम मुख चाहि।
बड़ी बेर भइ बन भीतर तुम, गाइनि लेहु निवाहि।
हेरी देत चले सब बन तैं गोधन दियौ चलाइ।
सूरदास प्रभु राम स्याम दोउ ब्रजजन के सुखदाइ।।505।।