प्रात समय उठि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग रामकली



प्रात समय उठि, सोवत सुत कौ बदन उघारयौ नंद।
रहि न सके अतसिय अकुलाने, बिरह निसा कैं द्वंद्व।
स्वच्छ सेज मैं तै मुख निकसत, गयौ तिमिर मिटि मंद।
मनु पय-निधि सुर मथत फेन फटि, दयौ दिखाई चंद।
धाए चतुर चकोर सूर मुनि, सब सखि-सखा सुछंद।
रही न सुधि सरीर अरु मन की, पीवत किरनि अमंद।।203।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः