प्यारी कर बाँसुरी लई।
सनमुख ह्वै तुम सुनौ रसिक पिय, ललित त्रिभंग भई।।
उठति राग रागिनि तरंगनि, छिनु छिनु उपज नई।
आल बाल नंदलाल स्रवन वर, जनु मोहिनी बई।।
नमित सुधाकर बदन अमित छवि, मनमोहन चितई।
मनहुँ चकोर मत्त मेचक मृग, तनु सुधि बिसरि गई।।
करि पीतांबर छाह नाह कौ, अलबेली रिझई।
'सूरदास' हँसि कमलनैन कहँ, राधा अंक दई।।2143।।