देखौ री मल्ल इन्है मारन कौं लोरै -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग कल्यान


देखौ री मल्ल इन्है मारन कौ लोरै।
अतिही सुंदर कुमार, जसुमति रोहिनी वार, बिलखतिं यह कहति सबै लोचन जल ढारै।।
कैसेहुँ ये बचै आजु, पठए धौ कौन काज, निठुर हियौ बाम ताकौ लोभही पठाए।
ए तो बालक अजान, देखौ उनकौ सयान, कहा कियौ ज्ञान, इहाँ काहे कौ आए।।
कहाँ मल्ल मुष्टिक से चानूर सिलाभजन, कहत भुजा गहि पटकन नद सुवन हरषै।
नगर नारि व्याकुल जिय जानति प्रभु 'सूर' स्याम गरव हतन नाम, ध्यान करि करि वै परखै।।3068।।

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