(दूलह देखौंगी जाइ) उतरे संकेत बटहिं किहिं मिस लखि पाउँ।
फूल गूंथि माला लै, मालिनि ह्वै जाउँ।
नंद नँदन प्यारे कौं, बीरा करि लेउँ।।
चोलिनि ह्वै जाउँ निरखि, नैननि सुख देउँ।
बृंदावन चंद कौं मैं, भुषन गढ़ि लेउं।।
ह्वै सुनारि जाउँ निरखि, नैननि सुख देउँ।।
अपने गोपाल के मैं, बागे रचि लेउँ।।
दरजिनि ह्वै जाउँ निरखि, नैननि सुख देउँ।
चंदन अरगजा सूर केसरि धरि लेउँ।
गंधनि ह्वै जाउँ निरखि, नैननि सुख देउँ।।1075।।