तेरै आवैगे आज सखी हरि, खेलन कौ फाग री।
सगुन सँदेसौ हौ सुन्यौ, तेरै आँगन बोलै काग री।।
मदनमोहन तेरै बस माई, सुनि राधे बड़भाग री।
बाजत ताल मृदंग झाँझ डफ, का सोवै, उठि जाग री।।
चोवा चंदन लै कुमकुम अरु, केसरि पैयाँ लाग री।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरे दरस कौ, राधा अचल सुहाग री।।2859।।