तू मोसौं दधि दान मांगि किन -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग पूरबी


तू मोसौं (दधि) दान मांगि किन (सूधैं) लेइ नंद के लाला।
ऐसी बातनि झगरौ ठानत, मूरख तेरौ कौन हवाला।।
नंद महर की कानि करति हौं, छाँड़ि देहु तुम ऐसे ख्‍याला।
सूरदास-प्रभु मन हरि लीन्‍हौ, हँसत नैंकु भई ग्‍वारि बिहाला।।1467।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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