तुम कुलवधू निलज जनि ह्वैहौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री


तुम कुलवधू निलज जनि ह्वैहौ।
यह करनी उनही कौ छाजै, उनकै संग न जैहौ।।
राधा-कान्ह-कथा ब्रज-घर-घर ऐसै जनि कहवैहौ।
यह करनी उन नई चलाई, तुम जनि हमहि हँसैहौ।।
तुम हौ बड़े महर की बेटी, कुल जनि नाउँ धरैहौ।
'सूर' स्याम राधा की महिमा, यहै जानि सरमैहौ।।1923।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः