तुम अलि कमलनैन के साथी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग घनाश्री


तुम अलि कमलनैन के साथौ।
देखत भले, काज के औसर होत धूम के हाथी।।
सुंदर स्याम दंड मदऽलंकृत, श्रम-जल-कन छवि छाजै।
जोग ज्ञान दोउ दसन भोग रद, करिनी कुंभ बिराजै।।
जब सिसु हते कुमार असुर हति, यातै प्रीतम जाने।
अब भए जाइ बिबस दासी के, ब्रज तै प्रगट पराने।।
करि कै कपट तुच्छ विद्या बस, भग्न करत अँग भट ज्यौ।
‘सूर’ अवधि पढि मत्र संजीवन, मारि जियावत नट ज्यौ।।3936।।

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