जोबन-दान लेउंगौ तुमसौं -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग कान्‍हरौ


जोबन-दान लेउँगौ तुमसौं।
जाकैं बल तुम बदति न काहुहिं, कहा दुरावति हमसौं।।
ऐसौ धन तुम लिये फिरति हौ, दान देत सतराति।
अतिहिं गर्ब त कह्यौ न मोसौं, नित प्रति आवति जाति।।
कंचन-कलस महारस भारे हमहूँ तनक चखावहु।
सूर सुनौ बिन दिये दान के, जान नहीं तुम पावहु।।1469।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः