जहाँ स्याम घन रास उपायौ। कुंकुम-जल सुख-बृष्टि रमायौ।।
धरनी-रज कपूर-मय भारी। बिबिध-सुमन-छबि न्यारी-न्यारी।।
जुवती जुरि मंडली बिराजैं। बिच-बिच कान्ह तरुनि-बिच भ्राजैं।।
अनुपम लीला प्रगट दिखाई। गोपनि की कीन्ही मन भाई।।
बिच श्री स्याम नारि बिच गोरी। कनक खंभ मरकत खचि ढोरी।।
सोभा-सिंधु-हिलोर हिलोरी। सूर कहा बरनै मति थोरी।।1039।।