ग्वाल कहत धनि धन्य कन्हैया।
बड़ौ देवता प्रगट बतायौ, यह कहि लेत बलैया।।
धन्य धन्य गिरिराजनि के मनि, तुम सम और न दूजा।
तुम लायक कछु नाहिं हमारैं, को जानै तुम पूजा।।
गोप सबै मिलि कहत स्याम सौं जो कछु कह्यौ सो कीन्हौ।
सूर स्याम कहि-कहि यह बानी, देव मानि सुख लीन्हौ।।847।।