गोद लिए हरि कौं नंदरानी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग आसावरी



गोद लिए हरि कौं नँदरानी, अस्तन पान करावति है।
बार-बार रोहिनि‍ कौं कहि-कहि, पलिका अजिर मँगावति है।
प्रात समय रवि-किरनि कोंवरी, सो कहि, सुतहिं बतावति है।
आउ घाम मेरे लाल कैं आंगन बाल-केलि कौं गावति हैं।
रुचिर सेज लै गइ मोहन कौं,भुजा उछंग सोववति है।
सूरदास प्रभु सोए कन्हैया, हलरावति-मल्हरावति है।।73।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः