गोद लिए हरि कौं नँदरानी, अस्तन पान करावति है।
बार-बार रोहिनि कौं कहि-कहि, पलिका अजिर मँगावति है।
प्रात समय रवि-किरनि कोंवरी, सो कहि, सुतहिं बतावति है।
आउ घाम मेरे लाल कैं आंगन बाल-केलि कौं गावति हैं।
रुचिर सेज लै गइ मोहन कौं,भुजा उछंग सोववति है।
सूरदास प्रभु सोए कन्हैया, हलरावति-मल्हरावति है।।73।।