खर-दूषण यह सुनि उठि धाए -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग सारंग
खर-दूषण-वध


 
खर-दूषण यह सुनि उठि धाए।
तिनकैं संग अनेक निसाचर, रघुपति आस्रम आए।
श्री रघुनाथ-लछन ते मारे, कोउ एक गए पराए।
सूपँनखा ये समाचार सब, लंका जाइ सुनाए।
दसकंधर-मारीच निसाचर, यह सुनि कै अकुलाए।
दंडक बन आए छल करि कै, सूर राम लखि धाए॥57॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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