कौन नृपति पुनि जाके तुम हौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग टोड़ी


कौन नृपति (पुनि) जाके तुम हौ।
ताकौ नाउँ सुनावहु हमकौं, यह सुनिकै अति पावति भौ।।
इहिं संसार भुवन चौदह भरि, कंसहि तैं नहिं दूजौ औ।
सो नृप कहा रहत सुनि पावैं, तब ताही कौं मानैं जौ।।
कहा नाउँ, किहिं गाउँ बसत है, ताही के ह्वै रहियै तौ।
सूरदास प्रभु कहै बनैगी, झूठहिं हमहिं कहत धौं हौ।।1578।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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