कोकिल बोली, वन वन फूले -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बसंत


कोकिल बोली, वन वन फूले, मधुप गुँजारन लागे।
सुनि भयौ भोर, रोर बदिनि कौ, मदनमहीपति जागे।।
ते दूने अंकुर द्रुम पल्लव जे पहिले दव दागे।
मानहुँ रतिपति रीझि जाचकनि, बरन बरन दए बागे।।
नई प्रीति, नई लता, पुहुप नए, नयन नए रसपागे।
नए नेह, नव नागरि हरषित 'सूर' सुरँग अनुरागे।।2848।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः