कृपा जैसै काली कौ करी -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

Prev.png
राग कान्हरौ




कृपा जैसै काली कौ करी।
ऐसै आदि अंत काहू कौ कबहुँ न चित्त धरी।।
अकुस कुलिस कमल धरि फन पर नृत्यत स्याम हरी।
सिव सनकादिक नारदादि मुनि निगमनि रटनि परी।।
संभुसीस चरनोदक की गति राखी जटा धरी।
'सूरदास' सतनि के कारन गौतम घरनि तरी।। 32 ।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः