कहा कहति तू मिलिहि रही है।
मोसौ करति कहा चतुराई, उनि यह भेद कही है।।
जौ हठ करयौ भली नहि कीन्ही, ये दिन ऐसे नाहिं।
कै इहँई पिय कौ न बुलावै, कै तहँई चलि जाहि।।
वै सब गुन लायक, तू नागरि, जोबन दिन द्वै चारि।
'सूर' स्याम कौ मिलि सुख लेहि न, पुनि पछितैहै नारि।।2695।।