कहा करौं मोसौं कहौ सबहीं।
जौ पाऊँ तो तुमहि दिखाऊँ, हा हा करिहै अवहीं।।
तुमहूँ गुन जानति हौ हरि के, ऊखल बांधे जबहीं।
सँटिया लै मारन जब लागी, तब बरज्यौ मोहिं सबहीं।।
लरिकाई तैं करत अचगरी, मैं जाने गुन तबहीं।
सूर हाल कैसे करि हौं धरि, आवै तौ हरि अबहीं।।1423।।