अँग अँग रँग भरि आए हो -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग ईमन


अँग अँग रँग भरि आए हो।
रँग भरी पाग, भाल रँग सोभा, रँग रँग नैन पगाए हो।।
रँग कपोल, रँग पलकनि सोभा, अधरनि स्याम रँगाए हो।
नख-छत-राग, चारु उर रेखा, रति रँग रैनि जगाए हौ।।
ककन वलय पीठि गड़ि लागे, उर उरछाप बनाए हौ।
'सूर' स्याम वामारँग पागे, अनुरागे मन भाए हो।।2557।।

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