सारँग-सुत-पति-तनया -सूरदास

सूरसागर

2.परिशिष्ट

भ्रमर-गीत

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राग बिलावल




सारँग-सुत-पति-तनया कै तट ठाढे नंदकुमार।
बहुत तपत जु रासि मैं सविता वा तनया-गँग करत बिहार।।
गुडाकेस-जननी-पति-वाहन ता सुत के अँग सजे सिंगार।
चद चौहत्तर आठ हस द्वै ब्याल कमल बतीस बिचार।।
एक अचभौ और बताऊँ पचि चंद दबे कमल संझार।
'सूरदास' इहिं जुगल रूप कौ रोसनि राखि सदा उर धारि।। 52 ।।

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