लागौ मोहि या बदनबलाइ -सूरदास

सूरसागर

1.परिशिष्ट

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राग केदारौ




लागौ मोहि या बदनबलाइ।
खंजन तेरे भरे कटाच्छनि न्याउ गुपाल बिकाइ।।
कह पटतर द्यौ चंद्र कलंकी घटत बढत दिन जाइ।
जा ससि की तुम आरि करति हौ चंद्र निहारौ आइ।।
ढोटा जौ पै खरौ अटपटौ बातै कहत बनाइ।
'सूरदास' प्रभु तुम्हरै मिलन तै तन की तपनि बुझाइ।। 98 ।।

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