दिन दिन तोरन लागे नातौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग


दिन दिन तोरन लागे नातौ।
मधुवन बसि गोपाल पियारे, प्रेम कियौ हठि हातौ।।
सीतलता उर कहूँ न दीसति, सब ब्रज लागत तातौ।।
नंदलाल गोकुल आवन की, चालत नाहिन बातौ।
पहिली प्रीति कितै गइ सजनी, मन न रहत बहरातौ।
'सूरदास' प्रभु के बिछुरे तै, भूलि गई सुधि सातौ।।3934।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः