दिन दिन तोरन लागे नातौ।
मधुवन बसि गोपाल पियारे, प्रेम कियौ हठि हातौ।।
सीतलता उर कहूँ न दीसति, सब ब्रज लागत तातौ।।
नंदलाल गोकुल आवन की, चालत नाहिन बातौ।
पहिली प्रीति कितै गइ सजनी, मन न रहत बहरातौ।
'सूरदास' प्रभु के बिछुरे तै, भूलि गई सुधि सातौ।।3934।।