आजु वे चरन देखिहौ जाइ।
जे पद कमल प्रिया श्री उर तै, नैकु न सकइ भुलाइ।।
जे पद कमल सकल मुनि दुरलभ, मैं देखौ सति भाइ।
जे पद कमल पितामह ध्यावत, गावत नारद चाइ।।
जे पद कमल सुरसरी परसे, तिहूँ भुवन जस छाइ।
'सूर' स्याम पद कमल परसिहौ, मन अति बढ्यौ उछाइ।।2947।।