स्याम सौंह कुच परसि कियौ।
नंद सदन तै अबही आवत, और तियनि कौ नेम लियौ।।
ऐसी सपथ करौ काहे कौ, जो कछु आजु करी सु करी।
अब जु काल्हि तै अनत सिधारी, तब जानौगे तुमहिं हरी।।
मैं सति भाव मिली हँसि तुमकौ, कहा आजु की सौंह करौ।
'सूर' स्याम जु भई सु भई जू, अबतै सबकौ नेम धरौ।।2733।।