स्याम भए बस नागरि कै।
नैन कटाच्छ बंक अवलोकनि, रीझे घोष उजागरि कै।।
चित मधुकर, रस कमल कोस कौ, प्यारी वदन सुधागरि कौ।
लोक-लाज-संपुट नहिं छुटत, फिर फिर आवत वागरि कौं।।
मिलन प्रकास मनावत मन मन कहा कहौ अनुरागरि कौं।
'सूर' स्याम बस बाम भए हैं, धनि ऐसी बढ़भागरि कौ।।2019।।