सुनत स्याम चकित भए बानी।
प्यारी पिय मुख देखि कछुक हँसि, कछुक हृदय रिस मानी।।
नागरि हँसत हसी उर छाया, तापर अति झहरानी।
अधर कप रिस भौंह मरोरयौ, मनहीं मन गहरानी।।
इकटक चितै रही प्रतिबिंबहिं, सौतिसाल जिय जानी।
'सूरदास' प्रभु तुम बड़भागी, बड़भागिनि जिहिं आनी।।2414।।