भक्तबछल श्री जादवराइ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग सारंग
महाभारत में भगवान की भक्‍तवत्‍सलता का प्रसंग




भक्तबछल श्री जादवराइ।
परतिज्ञा राखी, अपनौ बचन चिराइ।
भारत माहिं क‍था यह बिस्‍तृत, कहत होइ बिस्‍तार।
सूर भक्तवत्‍सलता बरनौं, सर्व कथा कौ सार।।267।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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