सूर तरौ हरि के गुन गाइ -सूरदास

सूरसागर

सप्तम स्कन्ध

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राग बिलावल
श्री नृसिंह अवतार



हरि हरि, हरि,हरि, सुमिरन करौ। हरि चरनारविंद उर धरौ।
हरि-चरननि शुकदेव सिर नाइ। राजा सौं बौल्यौ या भाइ।
कहौं सो कथा, सुनौ चित लाइ। सूर तरौ हरि के गुन गाइ।।1।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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