स्याम राम के गुन नित गाऊँ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल
श्री बलभद्र का ब्रज आगमन



स्याम राम के गुन नित गाऊँ। स्याम राम ही सौ चित लाऊँ ।।
एक बार हरि निज पुर छए। हलधर जी वृंदावन गए ।।
रथ देखत लोगनि सुख पाए। जान्यौ स्याम राम दोउ आए ।।
नंद जसोमति जब सुधि पाई। देह गेह की सुरति भुलाई ।।
आगै ह्वै लैवे कौ धाए। हलधर दौरि चरन लपटाए ।।
बल कौ हित करि गरै लगाए। दै असीस बोले या भाए ।।
तुम तौ भली करी बलराम। कहाँ रहे मन मोहन स्याम ।।
देखौ कान्हर की निठुराई। कबहूँ पातीहू न पठाई ।।
आपु जाइ ह्वाँ राजा भए। हमकौ बिछुरि बहुत दुख दए ।।
कहौ कबहुँ हमरी सुधि करत। हम तौ उन बिनु बहु दुख भरत ।।
कहा करै ह्वाँ कोउ न जात। उन बिनु पल पल जुग सम जात ।।
इहि अंतर आए सब ग्वार। भेटे सबनि जथा ब्यौहार। ।
नमस्कार काहू कौ कियौ। काहू कौ अंकम भरि लियौ ।।

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