रिष्यमूक परबत बिख्याता -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग
शरी-उद्धार


 
रिष्यमूक परबत विख्याता।
इक दिन अनुज-सहित तहँ आए, सीतापति रघुनाथा।
कपि सुग्रीव बालि के भय तैं बसत हुतौ तहँ आइ।
त्रास मानि तिहिं पवन-पुत्र कौं दोनौ तुरत पठाइ।
को ये बीर फिरैं वन बिचरत, किहिं कारन ह्यौ आए।
सूरज प्रभु कैं निकट आइ कपि, हाथ जोरि सिर नाए॥68॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः