स्याम बलराम गुन सदा गाऊँ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग आसावरी
सांवविवाह



स्याम बलराम गुन सदा गाऊँ ।
स्याम बलराम बिनु दूसरे देव कौ, सपनहूँ मैं नहीं सीस नाऊँ ।।
स्यामसुत सांब ग़यौ हस्तिनापुर तुरत, लछमना तहँ स्वयवर रचायौ ।
देखतै सबनि तै ताहि बैठारि रथ, आपने देस कौ पलटि धायौ ।।
करन दुरजोधनादिक लियौ घेरि तिहिं, करन ढिग आइ बहु बान मारे ।
साब तिहिं काटि निज धान संधान करि, तुरँग रथ तासु के सब सँघारे ।।
हत्यौ पुनि सारथी एक ही बान करि, परयौ सो धरनि सब सुधि बिसारी ।
एक इक बान भेज्यौ सकल नृपनि पै, मनौ सब साथ कीन्ही जुहारी ।।
देखि यह फुरति धनि धन्य सबहिनि कियौ, पुनि करन अस्व रथ के सँहारे ।
साब कौ पकरि बैठारि रथ आपनै, सुभट सब हस्तिनापुर सिधारे ।।
आइ नारद कह्यौ तुरत भगवान सौ, चले भगवान हलधर निवारे ।
कह्यौ मैं जाइ कै ल्याइहौ साब कौ, कौरवनि सौ सदा हित हमारै ।।

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