पारथ भीषम सौं मति पाइ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग
भीष्‍म का देह-त्‍याग




पारथ भीषम सौं मति पाइ। कियौ सारथी सिखंडी आइ।
भीषम ताहि देखि मुख फेरयौ। पारथ जुद्ध हेत रथ प्रेरयौ।
कियौ जुद्ध अतिहीं बिकरार। लागी चलन रुधिर की धार।
भीषम सरसज्‍जा पर परयौ। पै दछिनाइनि लखि नहिं मरयौ।
हरि पांडव समेत तहँ आए। सूरज प्रभु भीषम मन भाए।।276।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः