नारद ब्रह्मा कौं सिर नाइ -सूरदास

सूरसागर

द्वितीय स्कन्ध

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राग बिलाबल
शुकदेव-कथित नारद-ब्रह्मा-संवाद



नारद ब्रह्मा कौं सिर नाइ। कह्यौ, सुनौ त्रिभुवन-पति-राइ।
सकल सृष्टि यह तुमतै होइ। तुम सम द्वितिया और न कोइ।
तुमहूँ धरत कौन कौ ध्यान। यह तुम मौसौं करौ बखान।
कह्यौं करता-हरता भगवान। सदा करत मैं तिनकौ ध्यान।
नारद सौं कह्यौ विधि जिहिं भाइ। सूर कह्यौ त्यौं ही सुक गाइ।।35।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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