राजा सों बोल्यौ या भाइ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग बिलावल



हरि हरि,हरि हरि, सुमिरन करौ। हरि-चरनारबिंद उर धरौ।
सुकदेव हरि चरननि सिर नाइ। राजा सों बोल्यौ या भाइ।
कहौं हरि-कथा, सुनौ चित लाइ। सूर तरौ हरि के मुन गाइ।।1।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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