ब्रह्मा सुमिरन करि हरि-नाम -सूरदास

सूरसागर

तृतीय स्कन्ध

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राग बिलावल
सप्तऋषि, दक्ष प्रजापति तथा स्वायंभुवमनु की उत्पत्ति



ब्रह्मा सुमिरन करि हरि-नाम। प्रगटे रिषय सप्त अभिराम।
भृगु, मरीचि, अंगिरा, बसिष्ठ। अत्रि, पुलह, पुलस्त्य अति सिष्ठ।
पुनि दच्छानि प्रजापति भए। स्वायंभुव सो आदि मनु जए।
इनतैं प्रगटी सृष्टि अपार। सूर कहाँ लौं करैं बिस्तार।।8।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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