करि अस्नान नंद घर आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली
शालिग्राम प्रसंग



करि अस्‍नान नंद घर आए।
लै जल जमुना कौ भारी भरि, कंज सुमन बहु ल्‍याए।
पाइँ धोइ मंदिर पग धारे, प्रभु-पूजा जिय दीन्‍ह।
अस्‍थल लीपि पात्र सब धोए, काज देव के कीन्‍ह।
बैठे नंद करत हरि-पूजा, विधिवत औ बहु भाँति।
सूर स्‍याम खेलत तैं आए, देखत पूजा न्‍याति।।260।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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