सूरसागर सूरदास जी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। 'सूरसागर' में लगभग एक लाख पद होने की बात कही जाती है। किन्तु वर्तमान संस्करणों में लगभग पाँच हज़ार पद ही मिलते हैं। विभिन्न स्थानों पर इसकी सौ से भी अधिक प्रतिलिपियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनका प्रतिलिपि काल संवत् 1658 विक्रमी से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक है इनमें प्राचीनतम प्रतिलिपि नाथद्वारा, मेवाड़ के 'सरस्वती भण्डार' में सुरक्षित पायी गई हैं।
- इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है। इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग 'कृष्ण की बाल-लीला' और 'भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
- सूरसागर की सराहना करते हुए डॉ. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी ने लिखा है - 'काव्य गुणें की इस विशाल वनस्थली में एक अपना सहज सौन्दर्य है। वह उस रमणीय उद्यान के समान नहीं जिसका सौन्दर्य पद-पद पर माली के कृतित्व की याद दिलाता है, बल्कि उस अकृत्रिम वन-भूमि की भाँति है जिसका रचयिता रचना में घुलमिल गया है।' दार्शनिक विचारों की दृष्टि से 'भागवत' और 'सूरसागर' में पर्याप्त अन्तर है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
सूरसागर |
---|
| प्रथम स्कंध | | | द्वितीय स्कंध | | | तृतीय स्कंध | | | चतुर्थ स्कंध | | | पंचम स्कंध | | | षष्ठ स्कंध | | | सप्तम स्कंध | | | अष्टम स्कंध | | | नवम स्कंध | | | दशम स्कंध |
पूर्वार्ध
पूतना-वध • श्रीधर-अंग-भंग • कागासुर-वध • सकटासुर-वध • तृणावर्त-वध • नामकरण • अन्नप्राशन • वर्षगाँठ • घुटुरुवों चलना • पाँवों चलना • बाल-छवि-वर्णन • कनछेदन • चंद्र-प्रस्ताव • कलेवा-वर्णन • क्रीड़न • पाँड़े-आगमन • माटी-भक्षण-प्रसंग • शालिग्राम-प्रसंग • प्रथम माखन-चोरी • उलूखल-बंधन • यमलार्जुन-उद्धार की दूसरी कथा • गो-दोहन • वृंदावन-प्रस्थान • गो-चारण • बकासुर-वध • अघासुर-वध • ब्रह्मा-बालक-वत्स-हरण • बाल वत्स-हरण की दूसरी लीला • धेनुक-वध • कालीदह-जल-पान • ब्रज-प्रवेश-शोभा • कमल-पुष्प मँगाना, काली-दमन लीला • दावानल-पान लीला • प्रलंब-वध • मुरली-स्तुति • गोपिका-वचन • श्रीराधा-कृष्ण मिलाप • सुख-विलास • गृह-गमन • राधिकाजी का यशोदा-गृह गमन • राधा-गृह-गमन • राधिका का पुनरागमन • चीर-हरन-लीला • दूसरी चीर-हरन-लीला • यज्ञ-पत्नी-लीला • यज्ञ-पत्नी-वचन • गोवर्धन-पूजा तथा गोवर्धन-धारण • गिरिधारण-लीला • गोवर्धन की दूसरी लीला • गोपादि की बातचीत • अमर-स्तुति तथा कृष्णाभिषेक • इंद्र-शरणागमन • वरुण से नंद को छुड़ाना • रास-पंचाध्यायी आरंभ • श्रीकृष्ण-विवाह-वर्णन • श्रीकृष्ण का अंतर्धान होना • गोपी-गीत • रास-नृत्य तथा जल-क्रीड़ा • विद्याधर-शाप-मोचन • वृंदावन-विहार • शंखचूड़-वध • श्रीकृष्ण-ज्योनार • गोपी-वचन, मुरली के प्रति • मुरली-वचन, गोपियों के प्रति • गोपी-वचन, परस्पर • श्रीकृष्ण का व्रजागमन • बृषाभाषुर-वध • केशी-वध • व्योमासुर-वध • पनघट-लीला • दान-लीला • ग्रीष्म-लीला • यमुनागमन-युगलसमागम • लघु-मानलीला • नैन समय के पद • आँख समय के पद • मानलीला और दंपति विहार • खंडिता प्रकरण • राधा का मान • राधाजी का मध्यम मान • सुखमा गृहागमन • सुखमा के घर सखियों का आगमन • वृंदा-गृह-गमन • वृंदा के धाम से प्रमुदा के धामगमन • बड़ी मानलीला • दूसरी गुरु मानलीला • झूलन • बसंत लीला • अक्रूर-ब्रज-आगमन • गोपिकाओं की उद्विग्नता • यशोदा वचन श्रीकृष्ण के प्रति • नंदवचन, यशोदा के प्रति • गोपिका वचन, परस्पर • यशोदा विलाप • कृष्ण वचन नंद के प्रति • अक्रूर-कृत-श्रीकृष्ण-स्तुति • अक्रूर पत्यागमन • श्रीकृष्ण का मथुरा आगमन • रजक वध • धनुष-भंगलीला • कुवलया वध • हस्ती वध (संक्षिप्त) • श्रीकृष्ण वचन मल्लों के प्रति • वसुदेव दर्शन • यज्ञोपवीत उत्सव • नंद बिदाई • नंदब्रजागमन • सखीवचन; यशोदाविलाप ब्रजवासीवचन, आगत ग्वाल-वचन; गोपीजन • ब्रजदसा • परस्पर नंद-यशोदा-वचन • पंथीवचन, देवकी के प्रति • गोपी-विरह-वर्णन • स्वप्नदर्शन • चन्द्रोपालंंभ • उद्धव-व्रज-आगमन • स्याम रंग पर तर्क • यशोदा जी का संदेश • उद्धव आगमन, भ्रमरगीत संक्षेप • उद्धव प्रत्यागमन • श्रीकृष्ण का अक्रूर-गृह-गमन • श्रीकृष्ण का अक्रूर-गृह-गमन
उत्तरार्द्ध
कालयवनदहन • द्वारिका प्रवेश • द्वारिका शोभा • रुक्मिणी-पत्नि की-प्राप्ति • रुक्मिणी विवाह की दूसरी लीला • प्रद्युम्न-जन्म • प्रद्युम्न-जन्म • जांबंवती और सत्यभामा का विवाह • शतधन्वा वध • पंच पटरानी विवाह • भौमासुर वध तथा कल्पवृक्ष आनयन • रुक्मिणी परीक्षा • प्रद्युम्नविवाह • अनिरुद्धविवाह • नृग राजा का विवाह • श्री बलभद्र का ब्रज आगमन • पौंड्रकवध • सुदक्षिणावध • द्विविदवध • सांब विवाह • नारदसंशय • जरासंध वध • राजाओं की प्रार्थना • पांडव यज्ञ, शिशुपालगति • पांडव सभा, दुर्योधन का क्रोध • शाल्ववध • दंतवक वध • सुदामाचरित्र • संक्षिप्त सुदामाचरित्र • पथिक के प्रति ब्रजनारी वाक्य • कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण, यशोमति, गोपीमिलन • रुक्मिनीवचन श्रीकृष्ण के प्रति • श्रीकृष्ण का कुरुक्षेत्र आगमन • राधिका वचन सखी प्रति • श्रीकृष्ण के प्रति गोपी संदेश • कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण मिलन • रुक्मिनी का प्रश्न • रुक्मिनी का प्रश्न • श्रीकृष्ण वचन व्रजवासियों के प्रति • व्रजवासी वचन • ऋषि स्तुति • देवकी पुत्र आनयन • वेदस्तुति • नारदस्तुति • सुभद्रा विवाह • जनक श्रुतिदेव और श्रीकृष्ण मिलाफ • भस्मासुर वध • भृगु परीक्षा • अर्जुन को निज रूप दर्शन तथा शंखचूड़ पुत्र आनयन | | एकादश स्कंध | | | द्वादश स्कंध | | | परिशिष्ट | |
|
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज