राधा नैन नीर भरि आए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


राधा नैन नीर भरि आए।
कब धौ मिलै स्याम सुदर सखि, जदपि निकट है आए।।
कहा करौ किहिं भाँति जाहुँ अब पंख नही तन पाए।
‘सूर’ स्याम सुंदर धन दरसै, तन के ताप नसाए।। 4279।।

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