हौ इहाँ तेरेहि कारन आयौ।
तेरी सौ सुनि जननि जसोदा, मोहि गोपाल पठायौ।।
कहा भयो जो लोग कहत है, देवकि माता जायौ।
खान पान परिधान सबै सुख, तैही लाड़ लड़ायौ।।
इतौ हमारौ राज द्वारिका, मो जी कछू न भायौ।
जब जब सुरति होति उहिं हित की, बिछुरि बच्छ ज्यों धायौ।।
अब हरि कुरुक्षेत्र मै आए, सो मैं तुम्हैं सुनायौ।
सब कुल सहित नंद ‘सूरज’ प्रभु, हित करि उहाँ बलायौ।। 4278।।